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शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

honda ma majdoor ki hatya


  • मानेसर/5 जूलाई 2019 को अनिल कुमार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अनिल कुमार 8-9 साल से होण्डा 
  • मानेसर में तकनीशियन के रूप में कार्य कर रहा था। होण्डा मानेसर में लम्बे  संघर्ष के बाद 2005 मे यूनियन बनी 
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  • थी। 25 जुलाई 2005 को होण्डा मजदूरों ने बर्बर लाठी चार्ज झेला था। होण्डा में जो मजदूर 2013 मे भर्ती हहुआ था 
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  • उसकी दोबारा ज्वायनिंग हर साल होती है। होण्डा मानेसर में ठेका मजदूर भयंकर शोषण के शिकार हैं। अनिल कुमार की भी दोबारा ज्वायनिंग होनी थी। लेकिन मैनेजमेण्ट ने अनिल कुमार को प्रताड़ित किया जिसके  कारण अनिल कुमार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 











  • अनिल कुमार ने आत्महत्या क्यों की

  • उसने यूनियन को क्यों नहीं बताया ? अनिल कुमार शांत स्वाभाव का व्यक्ति था। मैनेजमैण्ट द्वारा प्रताड़ित करनले पर उसने यूनियन को नहीं बताया इसका एक कारण यह है कि यूनियन स्थाई मजदूरोें की है; ठेका मजदूरों मे यूनियन के प्रति अपनापन नहीं है। लेकिन यूनियन के पास अगर वे अपना मामला लेकर जाते तो समस्या का समाधान हो सकता था।
  • 6 जुलाई को इस घटना के विरोध में । शिफ्ट में नोटिस लगाकर स्थाई मजदूरों ने भी लंज का बहिष्कार कर दिया और 2 मिनट का मौन धारण किया गया। इससे पहले अस्थाई मजदूरों के लिए मौन धारण नहीं होता था।
  • स्वाल यह उठता है कि8-9 साल से कोई मजदूर अस्थाई कैसे रह सकता है जबकि वह आईटीआई किये हुए है और स्थाई काम कर रहा है। यूनियन में बावजूद कानून लागू नहीं कर पा रही है। सरकार ने मालिकों को छूट क्यों दे रखी है। आज देश भर में ठेका मजदूरों का भयंकर शोषण हो रहा है। सभी कम्पनियां श्रम कानूनों को ताक पर रखकर काम कर रही हैं। सरकार भी मालिकों के साथ है। बीजेपी और कांग्रेस दोंनो ने श्रम कानूनों को पंगु बनाने में मालिकों की मदद की है और श्रम कानूनों को खत्मकिया हैै। अब 56 इंच वाला मोदी श्रम कानूनों का सफाया करने पर तुला हुआ है।
  • अब जरूरत बनती है कि सभी ठेका मजदूर एकजुट हों और सरकार व पूंजीपतियांे के खिलाफ संघर्ष शुरूआत करें। ताकि कोई दूसरों अनिल की हठधर्मिता का शिकार ना बने । अनिल कुमार की हत्या सरकार ;मैनेजमेण्ट व मालिको की देन है। यह आत्महत्या नहीं है। सरकार व मैनेजमैण्ट ने स्थाई व अस्थाई मजदूरों में फूट डाल रखी है। होण्डा मे स्थाई मजदूर 5000 से 1 लाख तक वेतन रहे हैं तो अस्थाई मजदूर 12-14 हजार से रुपये पर खटने को मजबूर हैं। आज जरूरत बनती है कि स्थाई व अस्थाई मजदूर मिलकर संघर्ष करें ; ताकि कोई अनिल कुमार अपना जीवन खत्म करने को मजबूर ना हो।


























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